हम प्रवासी

मुंबई समेत महाराष्ट्र के कोने-कोने मे बसे राजस्थानी मूल के लोगों की यहाँ प्रवासी नाम से पहचान है. ज्यादातर व्यापार कर रहे इस समूह ने अब शिक्षा की ओर रुख किया है.इस समाज के जिन युवाओं का सपना कभी बड़ा व्यापारी बनाने का हुआ करता था ,वो अब सूचना तकनीकी,उड्डयन, मीडिया और प्रबंधन की तरफ बड़ी रफ्तार से मुडे है.अचानक आए इस बदलाव का मुख्य कारण समाज मे मीडिया के प्रसार को माना जा रहा है.इसी के साथ प्रवासी समाज राजनीति मे भी जमकर सक्रिय हुआ है.यहाँ सभी पार्टियों मे दो-चार राजस्थानी जरुर मिल जाएँगे, जो अपने व्यापार से समय निकाल कर सियासत मे संभावना तलाश रहे है.इसे राजस्थानी समाज के लिए भविष्य का बड़ा ही शुभ संकेत माना जा रहा है.महानगर मे वार्ड से लेकर विधानसभा तक राजस्थानी समाज को देखा जा सकता है.यही नही इनके द्वारा स्थापित संस्थाओं द्वारा जो जनहित के कार्य किये जा रहे हैं,उनसे न सिर्फ राजस्थानी,बल्कि सभी समाज के लोग लाभान्वित हो रहे हैं.राजस्थानी समाज को एक सूत्र मे पिरोने के लिए "हम प्रवासी" द्वारा समय-समय पर जो रचनात्मक कार्य किये गए,उनके काफी सार्थक परिणाम आए हैं.दो बार का मेवाड़ महोत्सव और राजस्थानी प्रतिभाओं के दोनों सम्मान समारोह हमारे प्रयास की कामयाबी के परिणाम हैं.इन सब उपक्रमों मे जैन युवा प्रकोष्ठ(मेवाड़)नवी मुंबई का जो योगदान रहा उसकी लोग मुक्त कंठ से सराहना करते हैं. ये जो सिलसिला शुरू किया गया है,वो आगे भी यूँ ही गतिमान रहे,इन्ही उम्मीदों के साथ सम्पूर्ण प्रवासी समाज से अपील है कि आप सभी आयें और इस कारवां को आगे बढ़ने मे हमारी मदद करें,क्यूकि यह कार्य हमारे थोड़े से साथियों के बस का नही है.जब तक सभी के कंधे नही मिलेंगे तब तक इतनी बड़ी जिम्मेदारी को उठा पाना संभव नही है.इन्ही उम्मीदों के साथ जय राजस्थान

1 टिप्पणी:

vijayeta ने कहा…

hum pravasi ke kuch mul batein bheje hamein apne ba hindi ke liye avasyak hein