महाराष्ट्र में अपराधी विधायक बनने से वंचित

उम्मीदवारों के भाग्य का विधाता तो मतदाता ही होता है। कई दिग्गजों और मंत्रियों को घर का रास्ता दिखाने के साथ ही तमाम राजनेताओं के लाडलों को विधायक बना दिया। मगर उन प्रत्याशियों को मतदाताओं ने धोखा दे दिया, जो आपराधिक पृष्ठभूमि के थे। महाराष्ट्र की विभिन्न अदालतों में जिन प्रत्याशियों के खिलाफ मामला दर्ज हैं, उनमें मंत्री, विधायक और पहली बार किस्मत आजमा रहे नेताओं का समावेश था। सभी को मतदाताओंने विधानसभा जाने से रोक दिया। अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के लिए मशहूर निवर्तमान राज्यमंत्री सिद्धराम म्हात्रे, विधायक पप्पू कालानी, अरूण गवली, हितेंद्र ठाकुर को जहां झटका लगा है, वहीं शिवसेना प्रत्याशी विजय चौगुले और मनसे के सुधाकर चव्हाण की उम्मीदों पर पानी फिरा है। सोलापुर की अक्कलकोट सीट से पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए सिद्धराम म्हात्रे को आघाड़ी सरकार में गृहराज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद से नवाजा गया था। अपने आपराधिक इतिहास के चलते इस चुनाव में म्हात्रे को मतदताओं को बेरूखी की शिकार होना पड़ गया और वे विधायक बनते-बनते रह गए। माफिया डॉन से राजनेता बने अखिल भारतीय सेना प्रमुख अरूण गवली पिछली बार तो विधायक बन लिए थे, लेकिन इस चुनव में उसको पराजय का मुंह देखना पड़ा। इसी तरह उल्हासनगर के बाहुबली विधायक पप्पू कालानी को भी इस चुनाव में भाजपा के कुमार आयलानी के सामने पराजय का मुंह देखना पड़ा। अपने आपराधिक सम्राज्य के बूते लंबे समय से उल्हासनगर की सत्ता पर काबिज कालानी की पत्नी ज्योति वहां की महापौर भी रह चुकी हैं। फिलहाल ज्योति कालानी इस समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में हैं और पप्पू कालानी रिपब्लिकन पार्टी से विधायक चुने गए थे। इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरे कालानी को मतदाताओं ने खारिज कर दिया। वसई के निर्वतमान विधायक हितेंद्र ठाकुर का नाम भी बाहुबली विधायकों की सूची में दर्ज है। गत लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी बहुजन विकास आगाड़ी का सांसद भी पालघर क्षेत्र में जिताया। सांसद बलीराम जाधव ने केंद्र में कांग्रेस का समर्थन दिया, तो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने तीन सीटें ठाकुर के लिए छोड़ दी। ठाकुर की पार्टी से बोईसर में चुनाव लड़ रहे विलास तरे के साथ ही जूनियर ठाकुर क्षितिज नालासोपारा से तो जीतने में कामयाब रहे, लेकिन पैनल से वसई सीट पर उतरे नारायण माणकर को निर्दलीय विवेक पंडित ने ढेर कर दिया। ज्ञात हो कि नायगांव से लेकर विरार तक ठाकुर कंपनी का एकछत्र साम्राज्य हुआ करता था, लेकिन हाल ही में ठाकुर समेतउसके समर्थकों पर जिस तरह से ग्रामीणों ने हमला किया। उससे हितेंद्र को जमीन खिसकती हुई नजर आई और उन्होंने रणछोड़ दास बनने में ही भलाई समझी। हितेंद्र का अंदाज सही निकला वो समझ गए थे कि अगर इस सीट से लड़े तो इज्जत का कचरा हो जाएगा। इसलिए मैदान से हट गए और आखिरकार उनके उम्मीदवार को शिवसेना समर्थित विवेक पंडित ने पराजित कर दिया। आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों में ऐरोली से शिवसेना प्रत्याशी विजय चौगुले का भी नाम आता है, जो सिर्फ राकांपा प्रत्याशी संदीप नाईक से हार गए, क्योंकि क्रिमिनल रिकार्ड की वजह से वहां के मतदाताओं ने चौगुले को नापसंद कर दिया। लोकसभा चुनाव में संदीप के बड़े भाई संजीव के सामने भी चौगुले अपनी आपराधिक छवि के कारण हार गए थे। इसी क्रम में ओवला माजीवड़ा सीट से मनसे प्रत्याशी सुधाकर चव्हाण की पराजय का कारण भी उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि ही रही। उनके सामने उतरे शिवसेना प्रत्याशी प्रताप सरनाईक अपनी स्वच्छ छवि के चलते मैदान मारने में कामयाब रहे। कुल मिलाकर इस चुनाव के परिणामों से साफ जाहिर हो गया कि विधानसभा में आपराधियों की बजाय उन्हें भेजा जाए, जिनका दामन साफ हो।

हम प्रवासी

मुंबई समेत महाराष्ट्र के कोने-कोने मे बसे राजस्थानी मूल के लोगों की यहाँ प्रवासी नाम से पहचान है. ज्यादातर व्यापार कर रहे इस समूह ने अब शिक्षा की ओर रुख किया है.इस समाज के जिन युवाओं का सपना कभी बड़ा व्यापारी बनाने का हुआ करता था ,वो अब सूचना तकनीकी,उड्डयन, मीडिया और प्रबंधन की तरफ बड़ी रफ्तार से मुडे है.अचानक आए इस बदलाव का मुख्य कारण समाज मे मीडिया के प्रसार को माना जा रहा है.इसी के साथ प्रवासी समाज राजनीति मे भी जमकर सक्रिय हुआ है.यहाँ सभी पार्टियों मे दो-चार राजस्थानी जरुर मिल जाएँगे, जो अपने व्यापार से समय निकाल कर सियासत मे संभावना तलाश रहे है.इसे राजस्थानी समाज के लिए भविष्य का बड़ा ही शुभ संकेत माना जा रहा है.महानगर मे वार्ड से लेकर विधानसभा तक राजस्थानी समाज को देखा जा सकता है.यही नही इनके द्वारा स्थापित संस्थाओं द्वारा जो जनहित के कार्य किये जा रहे हैं,उनसे न सिर्फ राजस्थानी,बल्कि सभी समाज के लोग लाभान्वित हो रहे हैं.राजस्थानी समाज को एक सूत्र मे पिरोने के लिए "हम प्रवासी" द्वारा समय-समय पर जो रचनात्मक कार्य किये गए,उनके काफी सार्थक परिणाम आए हैं.दो बार का मेवाड़ महोत्सव और राजस्थानी प्रतिभाओं के दोनों सम्मान समारोह हमारे प्रयास की कामयाबी के परिणाम हैं.इन सब उपक्रमों मे जैन युवा प्रकोष्ठ(मेवाड़)नवी मुंबई का जो योगदान रहा उसकी लोग मुक्त कंठ से सराहना करते हैं. ये जो सिलसिला शुरू किया गया है,वो आगे भी यूँ ही गतिमान रहे,इन्ही उम्मीदों के साथ सम्पूर्ण प्रवासी समाज से अपील है कि आप सभी आयें और इस कारवां को आगे बढ़ने मे हमारी मदद करें,क्यूकि यह कार्य हमारे थोड़े से साथियों के बस का नही है.जब तक सभी के कंधे नही मिलेंगे तब तक इतनी बड़ी जिम्मेदारी को उठा पाना संभव नही है.इन्ही उम्मीदों के साथ जय राजस्थान